वैशाख मास की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत का एक कलश निकला था जिसे दानवों से बचाने के लिए श्री हरि विष्णु ने मोहिनी का अवतार रखा था। मोहिनी एकादशी व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप और दुख नष्ट हो जाते हैं ।
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वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथी सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है। इस दिन जो व्रत रहता है उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पा जाते हैं।
ऐसी कथा है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने संसार के कल्याण के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। सागर मंथन के बाद जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर विवाद हो गया और असुर अमृत कलश लेकर भाग गए तब भगवान विष्णु को मोहिनी रूप धारण करना पड़ा था।
भगवान विष्णु जिनकी माया से संसार मोहित रहती है उनके मोहिनी रूप पर सुध बुध खोकर असुरों ने अमृत कलश इन्हें सौंप दिया और फिर संसार देवताओं को अमृत पिलाकर भगवान ने उन्हें अमर बना दिया। भगवान के इसी स्वरूप की पूजा मोहिनी एकदशी के दिन की जाती है। पुराणों के अनुसार इस व्रत पूजन से मनुष्य मोह माया से ऊपर उठकर उत्तम लोक में स्थान पाने का अधिकारी बन जाता है तथा व्यक्तित्व में प्रभाव उत्पन्न होता है और व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
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